Wednesday, December 22, 2010

धर्म का पालन करे [What is Dharm, What is Religion ]


धर्म क्या है ?  [जो धारण करने योग्य हो ] -बाबा राम देव जी द्वारा 
  • जैसा व्यवहार आप अपने  लिए दुसरो से चाहते है वैसा ही  व्यवहार आप दुसरो के साथ करे यही धर्म है , जैसे आप चाहते है की कोई आप से झूठ ना बोले, झगडा न करे  तो आपको भी दुसरो से झूठ नहीं बोलना चाहिये और झगडा नहीं करना चाहिये  
  • कोई भी काम करते समय अपनी आत्मा की आवाज सुने . अगर आत्मा की आवाज कहती है की ये काम गलत है तो उसको न करे .आत्मा की आवाज  के अनुसार काम करना धर्मं हैं  जैसे शराबी भी कभी ये नहीं चाहता की उसके बच्चे शराब पियें . क्योंकि शराबी की आत्मा भी कहती है की शराब पीना गलत होता है 
  • देश के प्रति हमारे कर्तव्य राष्ट्र धर्म  है


धर्म के 10  लक्षण होते हैं, जो इनको धारण करता है वो धार्मिक है     - आर्य समाज द्वारा 
धॄति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्॥ 
 

श्लोक का अर्थ : धैर्य, क्षमा , संयम , अस्तेय ( चोरी न करना ), पवित्रता , इंद्रियों पर नियंत्रण , बुद्धि , ज्ञान, सत्य , क्रोध न करना ( There are ten characteristics of 'Dharma' - patience, forgiveness, self-control, non- stealing, purity, control of senses, intelligence, knowledge, truth, non-anger 
  


धारयति इति धर्मः,   जो धारण किया जाता है वही धर्म है।    जिस तरह आग का काम जलाना और पानी का काम  शीतलता देना है उसी तरह  मनुष्य का धर्म मानवीय  मूल्य हैं ।समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए मानवता की उच्च चेतना को धारण करने के लिए मनुष्य ने जो नियम दिए वही धर्म है। धर्म पर आधारित राजनीति सर्व कल्याणकारी सिद्ध हो सकती है अगर इन्हें इनके मूल उद्देश्यों और परिणाम द्वारा समझा और  इनका पालन किया जाए।

नोट : धर्म और पंथ / sect  / religion  मे अंतर होता है : 
सभी पंथ मानव निर्मित हैं जैसे गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म बनाया , महावीर जैन ने जैन धर्म बनाया , गुरु नानक जी ने सिक्ख धर्म बनाया , मुहम्मद ने इस्लाम बनाया 
लेकिन सत्य सनातन वैदिक धर्म किसी ने नहीं बनाया |

विभिन्न आस्थाओं का शाब्दिक अर्थ

सनातन     :   Eternal; everlasting सार्वकालिक, वो सत्य और विज्ञान जो सदा रहने वाला है
Muslim     :  मुसल्लम + ईमान  = ईमान  का पक्का ( कुरान का पालन करने वाला  )
Sikh          :  सीखने वाला
Buddhism :  The awakened one  - जागृत होना
Jain           :  जैन = ज + न  (अच्छा +आदमी )
Christian  : 

    2 comments:

    1. Ravindra ji jo apne likha hai vh dharm nahi naitikta ke niyam hai,dharm ek byapak sabd hai jo relgion se bhi ikdam alag hatkar hai.iski koyi nahyi byakhay hme ya apko karne ki jarurat hani jab ki hmare poorvaj pahle hi kr chuken hai bs usko follow karna hai.Dharm ki shabdik utpatti hi uska arth janne ke liye paryapt hai.dharyte anya iti dharmah arthat jiske dwara dharan kiya jay.Jisse yah sristi astitva me hai,manvta v prani samuday astitva me hai rh sake jo kisi vyakti,vastu,drvya,padarth ka swabhavik gun hai jaise aag ki dahakata,pani ki sheetalta aadi.Jai Sri ram

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    2. सत्य, न्याय और नीति को धारण करके कर्म करना धर्म है । धर्म संकट की स्थिति में सत्य और न्याय में से किसी एक को चुना जाता है । सत्य, न्याय और नीति में से किसी एक को धारण करना, धर्म का एक रूप या पंथ हो सकता है, परन्तु धर्म नहीं ।

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