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हमें क्यों चाहिए जन लोकपाल?
सामान्य सवाल
सामान्य सवाल
हमें क्यों चाहिए लोकपाल?
मोटे तौर पर, लोकपाल कानून बनवाने के दो मकसद हैं -
पहला मकसद है कि भ्रष्ट लोगों को सज़ा और जेल सुनिश्चित हो। भ्रष्टाचार, चाहे प्रधानमंत्री का हो या न्यायधीश का, सांसद का हो या अफसर का, सबकी जांच निष्पक्ष तरीके से एक साल के अन्दर पूरी हो। और
अगर निष्पक्ष जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर मुकदमा चलाकर अधिक से अधिक एक साल में उसे जेल भेजा जाए।
दूसरा मकसद है आम आदमी को रोज़मर्रा के सरकारी कामकाज में रिश्वतखोरी से निजात दिलवाना। क्योंकि यह एक ऐसा भ्रष्टाचार है जिसने गांव में वोटरकार्ड बनवाने से लेकर पासपोर्ट बनवाने तक में लोगों का जीना हराम कर दिया है। इसके चलते ही एक सरकारी कर्मचारी किसी आम आदमी के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता है।
प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में इन दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए सख्त प्रावधान रखे गए हैं। आज किसी भी गली मोहल्ले में आम आदमी से पूछ लीजिए कि उन्हें इन दोनों तरह के भ्रष्टाचार से समाधान चाहिए या नहीं। देश के साथ ज़रा भी संवेदना रखने वाला कोई आदमी मना करेगा? सिवाय उन लोगों के जो व्यवस्था में खामी का फायदा उठा-उठाकर देश को दीमक की तरह खोखला बना रहे हैं।
जन्तर-मन्तर पर अन्ना हज़ारे के साथ लाखों की संख्या में खड़ी हुई जनता यही मांग बार-बार उठा रही थी। देश के कोने कोने से लोगों ने इस आन्दोलन को समर्थन इसलिए नहीं दिया था कि केन्द्र और राज्यों में लालबत्ती की गाड़ियों में सरकारी पैसा फूंकने के लिए कुछ और लोग लाएं जाएं। बल्कि इस सबसे आजिज़ जनता चाहती है कि भ्रष्टाचार का कोई समाधान निकले, रिश्वतखोरी का कोई समाधान निकले। भ्रष्टाचारियों में डर पैदा हो। सबको स्पष्ट हो कि भ्रष्टाचार किया तो अब जेल जाना तय है। रिश्वत मांगी तो नौकरी जाना तय है।
एक अच्छा और सख्त लोकपाल कानून आज देश की ज़रूरत है। लोकपाल कानून शायद देश का पहला ऐसा कानून होगा जो इतने बड़े स्तर पर जन-चर्चा और जन-समर्थन से बन रहा है। जन्तर-मन्तर पर अन्ना हज़ारे के उपवास और उससे खड़े हुए अभियान के चलते लोकपाल कानून बनने से पहले ही लोकप्रिय हो गया है। ऐसा नहीं है कि एक कानून के बनने मात्र से देश में भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा या इसके बाद रामराज आ जाएगा। जिस तरह भ्रष्टाचार के मूल में बहुत से तथ्य काम कर रहे हैं उसी तरह इसके निदान के लिए भी बहुत से कदम उठाने की ज़रूरत होगी और लोकपाल कानून उनमें से एक कदम है।
क्या कहता है जन लोकपाल कानून?
अन्ना हज़ारे साहब ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कानून जन लोकपाल बिल पारित कराने के लिए देशभर में एक देशव्यापी आन्दोलन छेड़ा। ये जन लोकपाल कानून आखिर है क्या? आईए इसके बारें में हम थोड़ा और जानें :-
लोकपाल और लोकायुक्त का गठन
केन्द्र के अन्दर एक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया जाएगा, जिसका नाम होगा जन लोकपाल। हर राज्य के अन्दर एक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया जाएगा, जिसका नाम होगा जन लोकायुक्त। ये संस्थाएं सरकार से बिल्कुल पूरी तरह से स्वतन्त्र होगी। आज जितनी भी भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाएं हैं जैसे सीबीआई, सीवीसी, डिपार्टमेण्ट विजिलेंस, स्टेट विजिलेंस डिपार्टमेण्ट, एण्टी करप्शन ब्रांच यह सारी की सारी संस्थाएं पूरी तरह सरकारी शिकंजे के अन्दर हैं। यानि कि उन्हीं लोगों के अन्दर हैं जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया है। यानि की चोर जो है वो ही पुलिस का मालिक बन बैठा है। हमने यह लिखा है कि इस कानून के तहत जन लोकपाल और जन लोकायुक्त यह पूरी तरह से सरकारी शिकंजे से बाहर होगी।
जन लोकपाल का स्वरूप
जन लोकपाल में दस सदस्य होंगे। एक चैयरमेन होगा उसी तरह से हर राज्य के जन लोकायुक्त में दस सदस्य होंगे एक चैयरमेन होगा।
लोकपाल और लोकायुक्त का काम
आम आदमी की शिकायत पर सुनवाई करेगा
जन लोकपाल केन्द्र सरकार के विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार के बारे में शिकायतें प्राप्त करेगा और उन पर एक्शन लेगा। जन लोकायुक्त उस राज्य के सरकारी विभागों के बारे भ्रष्टाचार की शिकायतें लेगा और उन पर कार्यवाही करेगा।
तय समय सीमा में जांच पूरी कर दोषी के खिलाफ मुकदमा चलाना
देशभर में पंचायत से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक हर जगह हम भ्रष्टाचार देखते हैं। मिड डे मील में भ्रष्टाचार है, नरेगा में भ्रष्टाचार है, राशन में भ्रष्टाचार है, सड़क के बनने में भ्रष्टाचार है, उधर 2जी स्पेक्ट्रम का भ्रष्टाचार, कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार है। आदर्श स्केम है, मंत्रियों का भ्रष्टाचार है और गांव में सरपंच का भ्रष्टाचार है।
इस कानून के तहत यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर लोकपाल में या लोकायुक्त में जाकर शिकायत करता है तो उस शिकायत के ऊपर जांच 6 महीने से 1 साल तक के अन्दर पूरी करनी पड़ेगी। अगर शिकायत की जांच करने के लिये लोकपाल के पास कर्मचारियों की कमी है तो लोकपाल को यह छूट दी गई है कि वह ज्यादा कर्मचारियों को लगा सकता है, लेकिन जांच को उसे एक साल के अन्दर पूरा करना पड़ेगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों की सुरक्षा
अगर आज भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करते हैं तो आपकी जान को खतरा होता है। लोगों को मार डाला जाता है, उनको तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। लोकपाल के पास यह पावर होगी और उसकी यह जिम्मेदारी होगी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को संरक्षण देने का काम लोकपाल का होगा।
भ्रष्ट निजी कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई
अगर कोई कम्पनी या कोई बिजनेसमैन सरकार में रिश्वत दे कर कोई नाजायज काम करवाता है, तो आज भ्रष्टाचार निरोधक कानून में ये लिखा है कि जांच ऐजेंसी को ये सबूत इकट्ठा करना पड़ता है, वो ये दिखा सके कि रिश्वत दी गई और रिश्वत ली गई। ये साबित करना बड़ा मुश्किल होता है क्योंकि वहां कोई गवाह मौजूद नहीं होता। इसमें हमने कानून में यह लिखा है अगर कोई बिजनेसमैन या कोई कम्पनी सरकार से कोई भी ऐसा काम करवाती है जो की कानून के खिलाफ है, जो कि गलत है तो ये मान लिया जायेगा कि ये काम रिश्वत दे कर और रिश्वत लेकर किया गया है। इसमें जांच ऐजेंसी को ये साबित करने की जरूरत नहीं होगी कि रिश्वत ली गई या दी गई।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगा जन लोकपाल?
जांच होने के बाद लोकपाल दो कार्यवाही करेगा -
(01) एक तो ये कि जो भ्रष्ट अपफसर है उसको नौकरी से निकालने की पावर लोकपाल के पास होगी। उनको एक सुनवाई (हियरिंग) देकर, जांच के दौरान जो सबूत और गवाह मिले उनकी सुनवाई करके, लोकपाल दोषी अधिकारी को नौकरी से निकालने का दण्ड देगा या उनके खिलाफ विभागी कार्रवाई का आदेश देगा या कोई और भी पेनल्टी लगा सकता है। जैसे उनकी तरक्की रोकना, उनकी इन्क्रीमेण्ट रोकना आदि। इस तरह की भी पेनल्टी उन पर लगा सकता है।
(02) दूसरी चीज़ जो लोकपाल करेगा वो ये कि जांच के तहत जो सबूत मिले उन सबके आधार पर वह ट्रायल कोर्ट के अन्दर मुकदमा दायर करेगा और इन लोगों को जेल भिजवाने की कार्यवाही शुरू करेगा।
तो कुल मिलाकर दो चीज़े हो गई। एक तो उनको नौकरी से निकालने की कार्यवाही शुरू हो जाएगी। इसका अधिकार लोकपाल को होगा। वह सीधे-सीधे आदेश देगा उन्हें नौकरी से निकालने के लिए और दूसरा ये कि उन्हें जेल भेजने के लिये अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा।
जन लोकपाल कानून बनने के बाद भ्रष्टाचारियों को क्या सजा हो सकती है?
भ्रष्टाचार साबित होने पर एक साल से लेकर उम्र भर के लिए जेल
आज हमारे भ्रष्टाचार निरोधक कानून में भ्रष्टाचार के लिए कम से कम 6 महीने की सज़ा का प्रावधान है और ज्यादा से ज्यादा सात साल की सज़ा का प्रावधान है। जनलोकपाल कानून में यह कहना है कि इसे बढ़ाकर कम से कम एक साल और ज्यादा से उम्र कैद यानि कि पूरी जिन्दगी के कारावास का प्रावधान किया जाना चाहिए।
भ्रष्टाचार से देश को हुए नुकसान की वसूली
आज हमारी पूरी भ्रष्टाचार निरोधक सिस्टम के अन्दर अगर किसी को सज़ा भी होती है, तो ऐसा कहीं भी नहीं लिखा कि उसने जितना पैसा रिश्वत में कमाया या जितना पैसा जितना उसने सरकार को चूना लगाया वो उससे वापस लिया जाएगा। तो जैसे केन्द्र सरकार मे मंत्री रहते हुए ए.राजा ने, ऐसा कहा जा रहा है कि उसने तीन हजार करोड़ रूपयों की रिश्वत ली, दो लाख करोड़ का उसने चूना लगाया। अब अगर ए.राजा को सज़ा भी होती है तो हमारे कानून के तहत उसको अधिकतम सात साल की सज़ा हो सकती है और सात साल बाद वापस आकर वो तीन हजार करोड़ रूपये उसके। हमने इस कानून में ये प्रावधान किया है कि सज़ा सुनाते वक्त ये जज की ज़िम्मेदारी होगी कि जितना उसने सरकारी खज़ाने को चूना लगाया है, यानि उस भ्रष्ट अफसर और भ्रष्ट नेता ने सरकार को जितना चूना लगाया है ये जज की जिम्मेदारी होगी कि वो सारा का सारा पैसा उससे रिकवर करने के लिए, उससे वापस लेने के लिए आदेश किए जाए और उससे रिकवर किए जाए।
जांच के दौरान आरोपी की सम्पत्ति के हस्तान्तरण पर रोक
जांच के दौरान अगर लोकपाल को ये लगता है कि किसी अधिकारी या नेता के खिलाफ सबूत सख्त हैं, तो लोकपाल उनकी सारी सम्पत्ति, उनकी जायदाद की पूरी लिस्ट बनाएगा और उसका नोटिफिकेशन जारी करेगा। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भ्रष्ट व्यक्ति उस सम्पत्ति को ट्रांसफर नहीं कर सकता। यानि न किसी के नाम कर सकता है और न ही बेच सकता है।
नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि जैसे ही उसे पता चले तो वह अपनी सारी की सारी सम्पत्ति ट्रांसफर करदे और उसने सरकार को जितना चूना लगाया, उसकी सारी रिकवरी हो न पाए।
नेताओं, अधिकारीयों और जजों की सम्पत्ति की घोषणा
कानून में ये प्रावधान दिया गया है कि हर अफसर को और हर नेता को हर साल के शुरूआत में अपनी अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर डालना पड़ेगा और अगर बाद में ऐसी कोई सम्पत्ति मिलती है, जिसका ब्यौरा उन्होंने वेबसाइट पर नहीं डाला, तो यह मान लिया जाएगा कि वो सम्पत्ति उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए हासिल की है और उस सम्पत्ति को जब्त करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दायर किया जाएगा।
आम आदमी की शिकायतों का समाधान
हर विभाग में सिटीज़न चार्टर:
एक आम आदमी जब किसी सरकारी दफ्तर में जाता है, उसे राशन कार्ड बनवाना है, उसे पासपोर्ट बनवाना है, उसे विधवा पेंशन लेनी है, उससे रिश्वत मांगी जाती है और अगर वो रिश्वत नहीं देता तो उसका काम नहीं किया जाता। जन लोकपाल बिल के अन्दर ऐसे लोगों को भी सहायता प्रदान करने की बात कही गई है। इस कानून के मुताबिक हर विभाग को एक सिटीज़न्स चार्टर बनाना पडे़गा। उस सिटीज़न्स चार्टर में ये लिखना पड़ेगा कि वो विभाग कौन सा काम कितने दिन में करेगा, कौन ऑफिसर करेगा, जैसे ड्राईविंग लाईसेंस कौन अपफसर बनाएगा, कितने दिन में बनाएगा, राशन कार्ड कौन ऑफिसर बनाएगा, कितने दिन में बनाएगा, विधवा पेंशन कौन ऑफिसर बनाएगा कितने दिनों में बनाएगा...। इसकी लिस्ट हर विभाग को जारी करनी पड़ेगी।
सिटीज़न चार्टर का पालन विभाग के मुखिया की ज़िम्मेदारी
कोई भी नागरिक अगर उसको कोई काम करवाना है तो वो नागरिक उस विभाग में उस अफसर के पास जाएगा अपना काम करवाने के लिए, अगर वो अधिकारी उतने दिनों में काम नहीं करता तो फिर ये नागरिक हैड ऑफ द डिपार्टमेण्ट को शिकायत करेगा हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट को जन शिकायत अधिकारी नोटिफाई किया जायेगा। हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट का यह काम होगा कि अगले 30 दिन के अन्दर उस काम को कराए।
विभाग का मुखिया काम न करे तो लोकपाल के विजिलेंस अफसर को शिकायत:
विभाग का मुखिया भी अगर काम नहीं कराता तो, नागरिक लोकपाल या लोकायुक्त में जाकर शिकायत कर सकता है। लोकपाल का हर ज़िले के अन्दर एक न एक विजिलेंस अफसर जरूर नियुक्त होगा, लोकायुक्त का हर ब्लॉक के अन्दर एक न एक विजिलेंस अफसर जरूर नियुक्त होगा। नागरिक अपने इलाके के विजिलेंस अफसर के पास जा कर शिकायत करेगा, विजिलेंस अफसर के पास जब शिकायत जायेगी तो यह मान लिया जायेगा कि यह हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट ने और उस ऑफिसर ने भ्रष्टाचार की उम्मीद में, रिश्वतखोरी की उम्मीद में यह काम नहीं किया। ये मान लिया जाएगा।
लोकपाल के विजिलेंस ऑफिसर की ज़िम्मेदारी
जन-लोकपाल या लोकायुक्त के विजिलेंस अफसर को तीन काम करने पड़ेंगे-
- नागरिक का काम 30 दिन में करना होगा,
- हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट और उस अफसर के ऊपर पैनल्टी लगाएगा, जो उनकी तनख्वाह से काटकर नागरिक को मुआवज़े के रूप में दी जायेगी।
- विभाग के अधिकारी और हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला शुरू किया जायेगा, तहकीकात शुरू की जायेगी और भ्रष्टाचार की कार्यवाही इन दोनों के खिलाफ की जायेगी. ये काम विजिलेंस अफसर को करना होगा।
इससे हमें यह उम्मीद है कि अगर हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट के खिलाफ 3-4 पैनल्टी भी लग गई या 3-4 केस भी भ्रष्टाचार के लग गये तो वो अपने पूरे डिपार्टमेण्ट को बुलाकर कहेगा कि आगे से एक भी ऐसी शिकायत नहीं आनी चाहिए। इससे हमें ये लगता है कि आम आदमी के लेवल पर भी लोगों को तेज़ी से राहत मिलनी चालू हो जाएगी।
क्या जनलोकपाल भ्रष्ट नहीं होगा?
कुछ लोगों का यह कहना है कि लोकपाल के अन्दर अगर भ्रष्टाचार हो गया तो उसे कैसे रोका जायेगा? यह बहुत जायज बात है। इसके लिए कई सारी चीज़े इस कानून में डाली गई है। सबसे पहले तो ये कि लोकपाल के मैम्बर्स का और चैयरमेन का चयन जो किया जाएगा वो कैसे किया जाता है। वो बहुत ही पारदर्शी तरीके से किया जायेगा।
लोकपाल की नियुक्ति पारदर्शी और जनता की भागीदारी से
जन लोकपाल और जन लोकायुक्त में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस काम के लिए सही लोगों का चयन हो। लोकपाल के चयन की प्रकिया को पारदर्शी और व्यापक आधार वाला बनाया जाएगा। जिसमें लोगों की पूरी भागीदारी होगी। इसके लिए एक चयन समिति बनाई जाएगी। समिति में निम्नलिखित लोग होंगे -
(01) प्रधानमंत्री,
(02) लोकसभा में विपक्ष के नेता,
(03) दो सबसे कम उम्र के सुप्रीम कोर्ट के जज,
(04) दो सबसे कम उम्र के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश,
(05) भारत के नियन्त्रक महालेखा परीक्षक, और
(06) मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।
चयन समिति भी सही लोगों का चयन करे
चयन समिति में जितने लोग शामिल हैं वे बहुत बड़े पद वाले लोग हैं, और भ्रष्टाचार के प्रभाव से मुक्त नहीं हैं। यह सभी लोग बहुत व्यस्त भी रहते हैं। अत: यह भी सम्भव है कि ये अपने मातहत अफसरों के माध्यम से अथवा किसी राजनीतिक दवाब में गलत लोगों को जनलोकपाल बना दें। इसलिए चयन समिति को जनलोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष पद के सम्भावित उम्मीदवारों के नाम देने का काम एक सर्च कमेटी करेगी।
लोकपाल के लिए योग्य व्यक्तियों की खोज के लिए सर्च कमेटी
चयन समिति योग्य लोगों का चयन उस सूची में करेगी जो उसे सर्च कमेटी द्वारा मुहैया करवाई जाएगी। सर्च कमेटी का काम होगा योग्य और निष्ठावान उम्मीदवारों के नाम चयन समिति को देना। सर्च कमेटी में सबसे पहले पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी में पांच सदस्य चुने जाएंगे। इसमें वो पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी शामिल नहीं होंगे जो दाग़ी हो या किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़े हों या अब भी किसी सरकारी सेवा में काम कर रहे हों। यह पांच सदस्य बाकी के पांच सदस्य का चयन देश के सम्मानित लोगों में से करेंगे। और इस तरह दस लोगों की सर्च कमेटी बनाई जाएगी।
सर्च कमेटी का काम और जनता की राय
सर्च कमेटी विभिन्न सम्मानित लोगों जैसे- सम्पादकों, बार एसोसिएशनों, वाइज़ चांसलरों से या जिनको वो ठीक समझे उनसे सुझाव मांगेगी। इनसे मिले नाम और सुझाव वेबसाईट पर डाले जाएंगे। जिस पर जनता की राय ली जाएगी। इसके बाद सर्च कमेटी की मीटिंग होगी जिसमें आम राय से रिक्त पदों से तिगुनी संख्या में उम्मीदवारों को चुना जाएगा। ये सूची चयन समिति को भेजी जाएगी। जो लोकपाल के लिए सदस्यों का चयन करेगी। सर्च कमेटी और चयन समिति की सभी बैठकों की वीडियों रिकॉर्डिंग होगी। जिसे सार्वजनिक किया जाएगा। इसके बाद जन लोकपाल और जन लोकायुक्त अपने कार्यालय के अधिकारीयों का चयन करेगें। उनकी नियुक्ति करेंगे।
भ्रष्ट लोकपाल को हटाने की प्रक्रिया
लोकपाल के चयन को पूरी तरह से पारदर्शी और जनता के भागीदारी से किया जा रहा है। अगर लोकपाल भ्रष्ट हो जाता है तो उसको निकालने की कार्यवाही भी बहुत सिम्पल है। कोई भी नागरिक सुप्रीम कोर्ट में शिकायत करेगा, सुप्रीम कोर्ट को हर शिकायत को सुनना पड़ेगा। पहली सुनवाई में अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि पहली नज़र में मामला बनता है तो सुप्रीम कोर्ट एक जांच बैठाएगी, तीन महीने में जांच पूरी होनी होगी और अगर जांच में कोई सबूत मिलता हैं तो सुप्रीम कोर्ट उस मेम्बर को निकालने के लिए राष्ट्रपति को लिखेगा और राष्ट्रपति को उस मैम्बर या चैयरमेन को निकालना पड़ेगा।
क्या जन लोकपाल दफ्तर में भ्रष्टाचार नहीं होगा?
दो महीने में सख्त कार्रवाई
अगर लोकपाल या लोकायुक्त के किसी स्टाफ के खिलाफ कोई भ्रष्टाचार की शिकायत आती है तो उस शिकायत को लोकपाल में किया जायेगा और उसके ऊपर एक महीने में जांच पूरी होगी और अगर जांच के दौरान उस स्टाफ मैम्बर के खिलाफ अगर कोई सबूत मिलता है तो उस स्टाफ को अगले एक महीने में नौकरी से सीधे निकाल दिया जायेगा ताकि वो जांच को बेईमानी से न करे।
कामकाज पारदर्शी होगा
लोकपाल के अन्दर की काम-काज की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिये इसमें लिखा गया है- जब जांच चल रही होगी तब जांच से सम्बंधित सारे दस्तावेज़ भी पारदर्शी होने चाहिए। लेकिन ऐसे दस्तावेज़ जिनका सार्वजनिक होना जांच में बाधा पहुंचा सकता है, उन्हें तब तक सार्वजनिक नहीं किया जाएगा जब तक कि लोकपाल ऐसा समझता है। लेकिन जांच पूरी होने के बाद किसी भी केस में सारे दस्तावेज़ उस जांच से सम्बंधित वेबसाइट में डालने जरूरी होंगे। ताकि जनता ये देख सकें कि इस जांच में हेरा फेरी तो नहीं हुई।
दूसरी चीज, हर महीने लोकपाल / लोकायुक्त को अपनी वेबसाइट पर लिखना पड़ेगा कि किस-किस की शिकायतें आईं, शिकायतें किस-किस के खिलाफ आई, मोटे-मोटे तौर पर शिकायत क्या थी, उस पर क्या कार्यवाई की गई, कितनी पेण्डिंग है, कितनी बन्द कर दी गई, कितने में मुकदमें दायर किये गये, कितनों को नौकरी से निकाल दिया गया या क्या सज़ा दी गई ये सारी बातें लोकपाल / लोकायुक्त को अपनी वेबसाइट पर रखनी होंगी।
शिकायतों की सुनवाई जरूरी
कई बार देखने में आया कि जांच ऐजेंसी के अधिकारी शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करते और सेटिंग करके जांच को बन्द कर देते है। और जो शिकायतकर्ता है उसको कुछ भी नहीं बताया जाता कि जांच का क्या हुआ। इसीलिए यहां के कानून में यह प्रावधान डाला गया है कि किसी भी जांच को बिना शिकायतकर्ता को बताए बन्द नहीं किया जायेगा। हर जांच को बन्द करने के पहले शिकायतकर्ता की सुनवाई की जायेगी और अगर जांच बन्द की जाती है तो उस जांच से सम्बंधित सारे कागज़ात खुले पब्लिक में वेबसाईट पर डाल दिये जायेंगे ताकि सब लोग देख सकें कि जांच ठीक हुई है या नहीं।
यदि आप अपने फोन/मोबाइल पर जन लोकपाल बिल के बारे में जानना चाहते है तो 092121-23212 पर डायल करें |
Give a miss call at 022-61550789 to show your support to Jan Lokpal
To download publicity material and more information click website http://www.indiaagainstcorruption.org/downloads.html
Vandey Matram,..
ReplyDeleteindia me do hi mard baba ramdev and anna hajare
ReplyDeletebaba i m fully agree with u at all but would like to tell u that BHARAT SARKAR indian goverment, andolan ya ansan se nahi manegi it demand extremely agressive action towards them like attack on parliment and attack on social corrupted leader for his death '' so plz make a secret organisation '' terrorism for indian goverment'' or ''corrupt the indian corruption'' jisse wo death k dar se sahi rasste per aa sake. becoz death is the best fear.. i am always with u for that. gaurav k pauji keshra 8800708245
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